आखिर देखादेखी ही सही मिलीे तो सही- "प्रेरणा"*
आज मैं बात कर रहा हूं श्रीवल्लभ रामदेव पित्ती अस्पताल यानि नागौर शहर के पुराने अस्पताल की जिसको फिर से चालू कराने के लिए एक बार फिर नागौर के जागरूक नागरिक सक्रिय हुए हैं। बकायदा इसके लिए एक WhatsApp ग्रुप लांच किया गया है। जिस पर दिन भर जागरूक लोग अपनी राय रख रहे हैं। लंबे समय के बाद आंदोलन फिर शुरू करने की प्रेरणा तांगा दौड़ आंदोलन से मिली है सब जानते हैं कि तांगा दौड़ सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा बन कर रह गया है, जिसमें कई नेता चित भी अपनी पट भी अपनी का खेल खेल रहे हैं यानी तांगा दौड़ शुरू हो तो श्रेय लेने में आगे और ना हो तो दोष देने में भी सबसे आगे। तांगा दौड़ आंदोलन से प्रेरणा इसलिए बता रहा हूं कि इसको फिर से चालू करवाने के लिए जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक ने दिन रात एक कर के प्रयास किए हैं। जागरुक नागरिकों को आस बंधी है कि अस्पताल के लिए फिर से आंदोलन करने से शायद सरकार जाग जाए। क्योंकि यह अस्पताल नागौर शहर के लिए कितने मायने रखता है यह हर आम आदमी जानता है। वर्तमान जेएलएन अस्पताल को सही मायनों में पूर्व चिकित्सा मंत्री नरपत सिंह राजवी ने सिर्फ ट्रॉमा सेंटर के लिए स्वीकृत किया था ताकि हाईवे पर होने वाले गंभीर एक्सीडेंट में तत्काल चिकित्सा उपलब्ध हो। इसको भी राजनीतिक फायदे के लिए चुनाव के मद्देनजर एक जनरल अस्पताल बनाकर नागौर वासियों को सौंप दिया। जेएलएन हॉस्पिटल आज भी एक रेफरल अस्पताल के रूप में काम कर रहा है तो फिर नागौर शहर से इतनी दूर अस्पताल ले जाने के का क्या औचित्य रह गया है?
आंदोलन से जुड़े नागरिकों से यही सुझाव है कि बिना राजनीतिक स्वार्थ के सब आगे आए।
आज मैं बात कर रहा हूं श्रीवल्लभ रामदेव पित्ती अस्पताल यानि नागौर शहर के पुराने अस्पताल की जिसको फिर से चालू कराने के लिए एक बार फिर नागौर के जागरूक नागरिक सक्रिय हुए हैं। बकायदा इसके लिए एक WhatsApp ग्रुप लांच किया गया है। जिस पर दिन भर जागरूक लोग अपनी राय रख रहे हैं। लंबे समय के बाद आंदोलन फिर शुरू करने की प्रेरणा तांगा दौड़ आंदोलन से मिली है सब जानते हैं कि तांगा दौड़ सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा बन कर रह गया है, जिसमें कई नेता चित भी अपनी पट भी अपनी का खेल खेल रहे हैं यानी तांगा दौड़ शुरू हो तो श्रेय लेने में आगे और ना हो तो दोष देने में भी सबसे आगे। तांगा दौड़ आंदोलन से प्रेरणा इसलिए बता रहा हूं कि इसको फिर से चालू करवाने के लिए जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक ने दिन रात एक कर के प्रयास किए हैं। जागरुक नागरिकों को आस बंधी है कि अस्पताल के लिए फिर से आंदोलन करने से शायद सरकार जाग जाए। क्योंकि यह अस्पताल नागौर शहर के लिए कितने मायने रखता है यह हर आम आदमी जानता है। वर्तमान जेएलएन अस्पताल को सही मायनों में पूर्व चिकित्सा मंत्री नरपत सिंह राजवी ने सिर्फ ट्रॉमा सेंटर के लिए स्वीकृत किया था ताकि हाईवे पर होने वाले गंभीर एक्सीडेंट में तत्काल चिकित्सा उपलब्ध हो। इसको भी राजनीतिक फायदे के लिए चुनाव के मद्देनजर एक जनरल अस्पताल बनाकर नागौर वासियों को सौंप दिया। जेएलएन हॉस्पिटल आज भी एक रेफरल अस्पताल के रूप में काम कर रहा है तो फिर नागौर शहर से इतनी दूर अस्पताल ले जाने के का क्या औचित्य रह गया है?
आंदोलन से जुड़े नागरिकों से यही सुझाव है कि बिना राजनीतिक स्वार्थ के सब आगे आए।
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