लोक सेवा दिवस (21 अप्रैल)
स्नातक करने के पश्चात 2003-04 में मैंने जयपुर के एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी प्रशिक्षण संस्थान में कुछ माह प्रशिक्षण प्राप्त किया और आगे भी मैं उनके साथ कार्य करने का इच्छुक था। मैंने पिताजी और कुछ अन्य स्वजनों के साथ इस संदर्भ में चर्चा की परंतु उनका मानना था कि मुझे सरकारी नौकरी का प्रयास करना चाहिए। फिर 2005 में मेरा चयन तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद पर हो गया और मैंने अपने ही गांव झोडिन्दा- भोजपुरा के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय से अपने कैरियर की शुरुआत की। आगे चलकर राज्य एवं अधीनस्थ सेवा (संयुक्त) प्रतियोगिता परीक्षा, 2007 के माध्यम से राजस्थान पुलिस सेवा के लिए चुना गया और 2010 से वर्तमान सेवा ( राजस्थान पुलिस सेवा ) में हूँ और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, जैसलमेर के पद पर सेवाएं दे रहा हूँ।
मैं लोक प्रशासन विषय का विद्यार्थी रहा हूँ। सैद्धांतिक अध्ययन के दौरान लोक व निजी प्रशासन में अंतर पढ़ा है, लोक प्रशासन का महत्व पढ़ा है । परंतु उस महत्व को आज कोरोना जैसे वैश्विक संकट के समय के समय अपनी आंखों से देख और महसूस कर पा रहा हूँ। प्रशासन, चिकित्सा और पुलिस विभाग मुख्य रूप से कोरोना महामारी से आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे हैं और अन्य सेवाएं भी साथ दे रही हैं। न केवल कोरोना बल्कि लाॅकडाउन के दौरान जनता को होने वाली अन्य समस्याओं का भी लगातार समाधान के प्रयास भी लगातार करने होते है। आज संकट के समय जिस समर्पण के साथ सब साथी अधिकारी अधिकारी कार्य कर रहे हैं, उसे देखकर आज एक लोक सेवक होने पर गर्व और संतुष्टि की अनुभूति होती है।
दुआ कीजिए कि हम और बेहतर कार्य कर सकें
दुआ कीजिए कि हम और बेहतर कार्य कर सकें
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