रविवार, 3 सितंबर 2017

काला धन सफेद कर डाला... विकास दर को बट्टा लगाया

काला धन सफेद कर डाला...
विकास दर को बट्टा लगाया...
 ये कैसा 56 इंच का सीना दिखाया

हो गई तसल्ली... कर ली मनमानी... दिखा दी नादानी... नोटबंदी करके 56 इंच का सीना फुलाया.... व्यापार-कारोबार का भट्टा बिठाया... विकास दर को नीचे गिराया... मजदूरों को बेरोजगार बनाया... नौकरियों को घटाया... पढ़े-लिखों को भूखे मरने पर मजबूर कराया... अभी तो आंकड़ों में परिणाम सामने आया... अब जब जगह-जगह त्राहि मचेगी... छोटे व्यापारी-कारोबारी पर तालेबंदी की लहर चलेगी... उद्योगों की चिमनियों का उठता धुआं जब दम तोडऩे लगेगा... निरुत्साही कारोबारी जब कम कारोबार कर झंझटों से मुक्ति की जुगत ढूंढने लगेगा तब मोदीजी आपकी अनुभवहीनता और तानाशाही का पता दुनिया को चलेगा... देश जुमलों और संवादों से चलाया जा रहा है... अनुभवी नेताओं की बातों को अनसुना किया जा रहा है... मीडिया को तोता बना दिया गया है... जो रटे-रटाए संवाद बोलकर भटेतगीरी करता नजर आता है... जो चैनल खोलो उस पर मोदी पुराण और मोदी गुणगान सुनाया जाता है... चार दुमछल्ले बैठाए जाते हैं जो मोदी चालीसा सुनातेे  हैं... एक अच्छे भले ईमानदार आदमी का इस भटेतगीरी ने सत्यानाश कर दिया... मोदीजी में इतना अहंकार भर दिया कि वो आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं... नसीहत तो दूर सुझाव तक देने वाले को ठिकाने लगा डालते हैं... इसलिए सारे के सारे खामोश रहने में ही अपना भला मानते हैं... विपक्षी भी उनकी ताकत और हिमाकत को पहचानते हैं... इसलिए राहुल छुट्टी जाकर  खैर मनाते हैं... बड़े-बड़े कांग्रेसी भी विरोध की औपचारिकता निभाते हैं... मनमोहनसिंह जैसे अर्थशास्त्री जब समझाते हैं तो मोदीजी उसे हवा में उड़ाते हैं... संसद में अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री ने भविष्य की इस आशंका को पहले ही व्यक्त कर दिया था... पर अपनों की परवाह न करने वाली सरकार गैरों की नसीहत कहां मानती है... हकीकत को कैसे पहचानती... आगे बढ़कर पीछे हटने को अपनी हार मानने वाली सरकार ने अपनी जीत के लिए देश को हरा दिया... असली तो असली नकली नोटों का बोझ देश पर लाद दिया... आतंकवाद मिटाने और नकली नोट चलन से हटाने की लफ्फाजी सामने आ गई... 99 प्रतिशत धन बैंकों में आ गया... कालाधन कहां गया... इस नाकामी से खिसियाई सरकार ने जीएसटी का कानून लाद दिया... कानून तो कानून हर माह खरीदी-बिक्री के हिसाब-किताब का बोझ व्यापारियों पर बढ़ा दिया... सरकार की इस मूर्खता का परिणाम यह है कि अब कोई व्यापार-कारोबार करना नहीं चाहता है... कम कमाने और चैन की नींद सोने  का यह भाव जब देश में छा जाएगा तब संगठित व्यापार देश पर हावी हो जाएगा... मल्टीनेशनल कंपनियों के लिए मार्ग खुल जाएगा... देश फिर ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रवेश की तरह गुलामी के दौर में चला जाएगा... फिर विकास दर के आंकड़ों में केवल विदेशियों का विकास नजर आएगा... देश को मनमानी, नादानी, तानाशाही का मतलब तब समझ में आएगा... मोदीजी के जुमले और जुबान तो सबने सुन ली, अब चुप रहने वाले मनमोहनसिंह की बात का अर्थ देश को नजर आएगा... एक अर्थशास्त्री की तरक्की के मुकाबले एक व्यर्थशास्त्री का अनर्थ जब देश पर छाएगा तब सबसे पहले छोटा तबका इस तबाही में बर्बाद नजर आएगा...

*✍🏻 रोहित कुमार डाकड़*
    गंगापुर सिटी , सवाईमाधोपुर

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